वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए;
वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है,
जीवन में कितना कुछ खो गया, इस पीड़ा को भूल कर, क्या नया कर सकते हैं,
इसी में जीवन की सार्थकता है.
वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है,
जीवन में कितना कुछ खो गया, इस पीड़ा को भूल कर, क्या नया कर सकते हैं,
इसी में जीवन की सार्थकता है.