सुविचार 2632

उपयोग विहीन लोहा कालान्तर जंग पकड़ लेता है और अन्तत: नष्ट होने लगता है।

स्थिर जल धीरे-धीरे मलीन हो जाता है और पीने योग्य नही रह जाता है.

दान और भोग विहिन धन स्वत: नष्ट हो जाता है.

*उसी प्रकार से निष्क्रियता मस्तिस्क की ताकत सोख लेती है ,मनुष्य धीरे -धीरे अवसाद का शिकार हो जाता है,

इसलिए निरन्तर सक्रिय रहें .*

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