हममें से बहोत लोग बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते हैं, जिन चीजों की जीवन में कोई ज़रूरत नहीं होती, उनको मेहनत करके जोड़ते रहते हैं, जैसे क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा आदि ; जब उनके दिमाग में इनका कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है, तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ने लगते हैं,
इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें और उन्हें दूर से ही मुस्कराकर अलविदा कह दें, क्योंकि अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा हम स्वीकार कर लिए तो, हम भी कूड़ादान बन जायेंगे और अपने साथ साथ आसपास के लोगों पर भी कूड़ा गिराते रहेंगे.