सुविचार 3300

इस साल का सफ़र _ कुछ यूँ गुज़र गया,

कुछ अपने अंजान हो गए _ कुछ अंजान अपने हो गए..

तारीखों में _ धीरे – धीरे _ व्यतीत हो रहे हैं हम,

आज है _ लेकिन हर छण _ अतीत हो रहे हैं हम..

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