जीवन हमारे कर्मों पर आधरित है और ये ही हमारी सफलता व असफलता का आँकलन (कर्म ) करता है,
हमारे सुख दुःख भी इसी में निहित हैं !
आखिकार जीवन न तो पीड़ा है और न ही आनंद, _ यह वैसा बन जाता है जैसा आप उसे बनाते हैं !!
आखिकार जीवन न तो पीड़ा है और न ही आनंद, _ यह वैसा बन जाता है जैसा आप उसे बनाते हैं !!