मोह खत्म होते ही खोने का डर भी निकल जाता है,
_ चाहे दौलत हो, वस्तु हो, रिश्ते हो, या जिंदगी…
मोह उसी का करो, जिस पर आपका अधिकार हो ;
_जिसपर अधिकार ही नहीं, उसका मोह भी करना बेकार है..!
वे ऐसी चीजों का हिस्सा मांग रहे हैं, _ जिन्हें किसी और ने मेहनत से कमाया और बनाया !!
_यह अधिकार कैसे हुआ ??