लोगों को आप हमेशा खुश नहीं रख सकते हैं. आप हमेशा उनके मुताबिक नहीं चल सकते. यदि आप ऎसा करने की कोशिश करेंगे, तो कहीं न कहीं खुद के साथ अन्याय करेंगे. सोचिए, हम उन लोगों के नाराज होने से क्यों डरें, जिनकी राय पल भर में हमारे प्रति बदल जाती है. जो कल हमें विनम्र, प्यारा, अच्छा इन्सान कह रहे थे, वह हमें अचानक अभिमानी, गुस्सैल, अहंकारी कहने लगें. आप केवल उन्हें ही अपना मानें, जो आपके ‘ ना ‘ कहने के बावजूद भी आपसे प्यार करे. आपकी ‘ ना ‘ कहने की बजह को समझे. इसलिए दूसरों से सम्मान पाने के लिए अपनी खुशियों का गला न घोटें.