कर्म का उद्देश्य जीवन को अभिव्यक्त करना है. यदि जीवन प्राकृतिक रूप से और बिना किसी को हानि पहुँचाए अभिव्यक्त होता है तो इसमें न तो कोई पाप है और न ही कोई पुण्य.
कर्म का उद्देश्य जीवन को अभिव्यक्त करना है. यदि जीवन प्राकृतिक रूप से और बिना किसी को हानि पहुँचाए अभिव्यक्त होता है तो इसमें न तो कोई पाप है और न ही कोई पुण्य.