सुविचार 4274

ईमानदार आदमी कभी खुदगर्ज नहीं होता, और बेईमान किसीका सगा नहीं होता ; स्वयं का भी नहीं.
जितना हम पढ़े लिखे हुए हैं, दरअसल हम उतने ही बेईमान बने हैं, _

_ गहराई से सोचें तो ये बात सही लगती है कि पढ़े लिखे लोग हर चीज को मुनाफे से तौलते हैं, _
_ ये बात समाज को तोड़ रही है, शिछा मतलब ये नहीं कि इंसानियत को ही भूल जायें !!

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