जटिलता को अपनी सरंचना में स्थूलता या ठोसता और अतीत के विचारों के जाल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.
जीवन तब जटिल हो जाता है जब हम खुद को केंद्र में रखने के बजाय दूसरों को अपने जीवन का केंद्रीय स्थान देते हैं..
_ ताकि वे हमारे जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लें, वे हमारे जीवन का निर्धारण करें..!!
भ्रमवश हम खुद ही अपनी जिंदगी को कष्टदायक बना लेते हैं,
_ गलत निर्णय भी सबसे अच्छे निर्णय लगते हैं.!!





