सुविचार 4629

हम ही अपने रोज़मर्रा के विचारों से – अपनी इच्छाओं, अपने आकर्षण – विकर्षण और अपनी पसंद- नापसंदगी से अपनी नियति का निर्माण करते हैं.
दरअसल, हमारी पसंदीदा चीज़ें ही हमारी हद और सीमाओं को बयान करती हैं,

_ वे हमें बताती हैं कि हमने अब तक उससे बेहतर कुछ देखा ही नहीं, कभी जिया ही नहीं, और शायद महसूस भी नहीं किया…!

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