सुविचार – मूर्ख – मुर्ख – बेवकूफ – नासमझ – बेअक्ल – बेअकल – मंदबुद्धि – क्रैक होना – हिला होना – 068

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समझदार बोलता है क्योंकि उसके पास बोलने या बांटने के लिए अच्छी बातें होती हैं,

_ लेकिन एक बेवकूफ मात्र इसलिए बोलता है.. क्योंकि उसे कुछ न कुछ बोलना होता है.

लोगों को दिखाओ कि आप मूर्ख हो, आपको कुछ नहीं पता..

_ इससे आप उनके मनसूबे जान पाओगे.!!

जो भी बुद्धिमान व्यक्ति किसी मूर्ख के साथ बहस करता है, उसे नुकसान उठाना पड़ता है.

अगर हम परेशानियों से बचना चाहते हैं तो मूर्ख व्यक्ति से दूर ही रहना चाहिए और उसके साथ बहस करने की गलती नहीं करनी चाहिए.

जिस तरह से आकाश में मिट्टी उछालने पर, वह मुहँ पर ही गिरती है ; _उसी तरह से मूर्ख व्यक्ति, जब अच्छे लोगों के साथ, बुरा करने की कोशिश करते हैं तो _ उनका खुद का ही बुरा होता है ..!!
जिसे आपकी कोई बात समझ नहीं आए, फिर भी आप उसे समझाते जाएँ और मन में सोचते भी जाएँ कि यह मूर्ख मेरी बात नहीं समझ रहा तो, _ मूर्ख वह नहीं, आप हैं. “आप एक जड़बुद्धि के पीछे क्यों पड़े हैं ?”
सच्चे होने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि मूर्खो से मुक्ति जल्द ही मिल जाती है..

_ और मूर्खो को उनकी मूर्खता का सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि..
_ उनके जैसे और कई मूर्ख उनको मूर्ख बनाने के लिए उनके निकट बने रहते हैं.!!
मूर्ख इंसान की जुबान ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है,

_ क्योंकि वो सुनने में कम और बोलने में ज़्यादा विश्वास रखता है.!!
बहस में ज्ञानी और सच्चे लोग अक्सर मौन हो जाते हैं, मूर्ख और झूठे लोग

खुद को सही साबित करने के लिए जरुरत से ज्यादा दलीलें पेश करते हैं.

अक्लमंद आदमी जो कुछ बोलता है, सोच समझ कर बोलता है.

बेवकूफ बोल लेता है, तब सोचता है कि वह क्या कह गया.

समस्या पैदा करने के लिए आपका मजबूत होना जरूरी नहीं है,

_ बस आपका मूर्ख होना जरूरी है.

मूर्ख होने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन जिद्दी होना

और इस बात पर जोर देना कि आपकी मूर्खता ज्ञान है, यह एक समस्या है.

पहला सिद्धांत यह है कि आपको स्वयं को मूर्ख नहीं बनाना चाहिए ;

_और आप सबसे पहले खुद को ही मूर्ख बनाते हैं.!!

मूर्ख से बहस कर आप जीत नहीं सकते, इसलिए उसे ही जीतने का घमंड पालने दो..

_ क्योंकि तर्क सिद्धांत वे मानते नहीं.!!

मूर्ख लोगों के साथ बहस करने के लिए जीवन बहुत छोटा है.

Life is too short to argue with stupid people.

मूर्ख होने के लिए कोई उम्र तय नहीं होती, आप किसी भी उम्र में मूर्ख हो सकते हैं.
मूर्ख व्यक्ति एक ही काम बार-बार करता है और अलग परिणाम की उम्मीद करता है.
[su_quoteमुर्ख लोग धैर्य रखना जानते ही नहीं हैं, कुछ न कुछ मुंह खोल कर बकवास करना ही है.!!][/su_quote]
नासमझ- बेवकूफ चाहते हैं कि हर कोई “उनकी तरह सोचे”

The idiots wish everyone would think like them.

मूर्खों की संगति में सुखी रहने की बजाय, समझदारों के साथ दुखी रहना बेहतर है !!
मैंने मूर्खों की एक खासियत देखी है, उन्हें पूरा यकीन होता है कि वे बुद्धिमान हैं..
एक मूर्ख से समझदारी की बात करो तो वह आपको ही मूर्ख कहने लगेगा.!!
एक मूर्ख अपनी ज़िंदगी को अपनी मूर्खता से औऱ अधिक कठिन बना लेता है.!!
मूर्ख लोगों को अपना कीमती वक़्त ख़राब करने का मौक़ा देना छोड़ दो, खुश रहोगे !!
जो लोग अपने पाँव पर ख़ुद कुल्हाड़ी मारते हैं, उनसे ज्यादा मूर्ख कोई और नहीं.!!
मूर्ख इंसान दाने-पानी का इंतजाम किए बिना.. और सारे इंतजाम करता है.!!
बुद्धिमान का दुर्भाग्य मूर्ख की समृद्धि से बेहतर है.

The misfortune of the wise is better than the prosperity of the fool.

बेअक्लों की ख्वाहिश है, सब उनके जैसा सोचें.

Idiots wish everyone would think like them.

क्रैक होना, हिला होना, बावला, और मंदबुद्धि के बीच एक महीन-सा अंतर है.

_ “हिला होना” अर्थात् बार-बार अपना प्रचार करना.. मैं तो ये हूँ, मैं तो वह हूँ, मैं सब कुछ हूँ.
_ “क्रैक” वह होता है जो समय, स्थान और माहौल नहीं देखता है और अपने काल्पनिक शत्रु की निंदा करने लगता है.
वह घर की लड़ाई बीच बाज़ार में लाता है.
_ “बावला” वह जो जगत को मिथ्या समझता है और अपने कल्पना लोक में विचरण करता है.
_ “मंदबुद्धि” ऐसा नमूना है जो कर्म तो करेगा नहीं.. लेकिन हवाई क़िले बनाएगा राजमहल में रहने के..
_ उसकी चौकड़ी उसे बेवक़ूफ़ बनाती है और वह बनता है.
_ यह आदमी रात और दिन में फ़र्क़ नहीं कर पाता.
_ ये सब नमूने हमारे आस-पास मौजूद हैं, तलाश करिए और मज़े लीजिए.!!
साधारण मूर्ख ठीक हैं; आप उनसे बात कर सकते हैं, और उनकी मदद करने का प्रयास कर सकते हैं.

_ लेकिन आडंबरपूर्ण मूर्ख-लोग _ जो मूर्ख हैं और इसे हर जगह छिपा रहे हैं और लोगों को प्रभावित कर रहे हैं कि _ वे इस सब दिखावटीपन के साथ कितने अद्भुत हैं-
_ मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता !
_ एक साधारण मूर्ख जालसाज़ नहीं होता; एक ईमानदार मूर्ख बिल्कुल ठीक है.
– लेकिन एक बेईमान मूर्ख भयानक होता है !
मूर्ख वह है जो अहंकार, मैं को जन्म देता है।

मूर्ख हमेशा बहस जीतता है.
_ बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा मूर्ख से सहमत होता है.
_ मूर्ख वह है जो विचारों के जाल में फँस जाता है और मान लेता है कि यही परम सत्य है.
_ बुद्धिमान व्यक्ति को न कुछ साबित करना होता है और न ही कहीं जाना होता है.
_ मूर्ख हमेशा कोई न कोई व्यक्ति बनता रहता है.
_ बुद्धिमान व्यक्ति न कुछ होता है और न कुछ.
_ मूर्ख हमेशा अंतहीन ध्वनि प्रदूषण का बकबक करने वाला होता है.
_ बुद्धिमान व्यक्ति शांत और मौन रहता है.
_ मूर्ख हमेशा अतीत में जीता है.
_ बुद्धिमान व्यक्ति बस वर्तमान और वर्तमान में जीता है.!!
जिस क्षण आप किसी मूर्ख व्यक्ति को समझाने की कोशिश करते हैं, आप उसी जगह प्रवेश कर जाते हैं.. जहाँ वे रहते हैं.

_ मूर्खता सत्य की परवाह नहीं करती, बस अपने अंधेपन से चिपकी रहती है.
_ आप हज़ार तथ्य लाएँ, लेकिन उनकी आँखें पहले ही बंद हो चुकी हैं.
_ कभी भी अपनी जीवन ऊर्जा किसी को समझाने में बर्बाद मत करो.
_ सत्य को किसी को साबित करने की ज़रूरत नहीं है..
_ सत्य कोई बहस नहीं, बल्कि एक अनुभव है.
_ अगर सामने वाला तैयार और इच्छुक है, तो एक शब्द भी उसे समझा सकता है.
_ अगर वे तैयार नहीं हैं, तो हज़ार शास्त्र भी निरर्थक होंगे.
__ अगर किसी का दिल खुला है, तो वह आपकी लौ से जल उठेगा.!!
“मूर्ख कौन है ?”

_ मूर्ख वह है जो मानता है कि दुनिया को उसकी ज़रूरत है… कि उसके बिना, सब कुछ बिखर जाएगा.
_ सच तो यह है कि दुनिया को कोई परवाह नहीं है.
_ कल सूरज उगेगा, नदियाँ बहती रहेंगी, सूरज और प्रकृति की तो बात ही छोड़िए,
_ जिस ऑफिस में आप काम करते हैं, उसे भी आपकी परवाह नहीं है.
_ आज आप महीने के सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी हैं और अगले महीने आपको नौकरी से निकाल दिया जाएगा, इसलिए नहीं कि कंपनी घाटे में जा रही है, बल्कि इसलिए कि उनका मुनाफा 20% से घटकर 19.99% हो गया है.
_ और लोग: वे हँसेंगे और रोएँगे, आपके साथ या आपके बिना..
_ आज आप मरेंगे, कल वे कोई और रास्ता खोज लेंगे..
_ यह उनकी गलती नहीं है, समस्या यह है कि आपने खुद को बहुत ज़्यादा महत्व दे दिया है.
_ आप उनके जीवन में वह नायक नहीं हैं.. जो आप सोचते हैं.
_ यह सोचना कि दुनिया आपका सम्मान करती है, अहंकार का सबसे गहरा भ्रम है.
_ “दुनिया पूरी है”.. यह आपसे पहले भी थी, आपके बाद भी रहेगी.
_ बुद्धिमान व्यक्ति अस्तित्व या किसी भी चीज़ से महत्व की माँग नहीं करता.
_ वह बस उसका हिस्सा बन जाता है..
_ बहते रहो – जैसे एक बूँद सागर में पिघल रही हो,
_ न ज़रूरी, न अनावश्यक – बस अभी में मौजूद रहो.
_ अपने बीते हुए कल से सीखो और आज जियो.!!
_ “यह बहुत ही प्रासंगिक है ! दुनिया को वाकई हमारी ज़रूरत नहीं है, हम तो बस उसका एक छोटा सा हिस्सा हैं.”
– SACHIN

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