सुविचार 1153 | May 17, 2016 | सुविचार | 0 comments जीवन में धूपछांव की तरह खुशी और गम साथसाथ चलते हैं. कहीं खुशी है तो कहीं गम. लेकिन व्यवहार का शिष्टाचार कहता है कि अपनी खुशियों को दूसरों के दुख से कम न समझें और उन के दुख में हिस्सेदार बनें. Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ