सुविचार – सोशल मीडिया – Social Media – 112

13349736155_8948b67b5d

पर्सनल समस्याओं के लिए व्यक्तिगत समाधान की आवश्यकता है..

_न कि सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लिए,,!!

जरूरी नहीं जो लोग दुनिया के सामने खुश दिखाई दे रहे हैं, वह खुश ही हैं.

_ अपने आसपास के लोगों का ख्याल रखिए,
_ खासकर उन लोगों का जो सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा खुश दिखाई दे रहे हों..
_ ऐसे शो कर रहे हो जैसे कि उनके जीवन में कोई प्राब्लम ही नहीं..!!
_ प्राब्लम होना प्राब्लम नहीं है, जीवन है तो दुःख तो होगा ही.. यह बहुत ही सामान्य है,
_ लेकिन उस दुःख को जाहिर नहीं कर पाना असामान्य है..!!
डिजिटल क्रांति के इस दौर में मोबाइल फोन हमारे जीने के तरीके को क्रांतिकारी ढंग से बदल रहा है.

_ कुछ लोग इसका फायदा उठा नॉलेज से संचालित और आनंद से भरा जीवन जीने की दिशा में बढ़ रहे हैं,
_ जबकि अधिकांश का अपने दिमाग पर नियंत्रण खत्म हो रहा है.
_ वे डोपामीन की ऐसी लत का शिकार बनते जा रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें खुद कोई अहसास नहीं..
_ क्योंकि उन्हें लगता है कि वे तो जिंदगी का मजा लेते हुए जी रहे हैं.
_ मोबाइल उन्हीं के लिए शक्तिशाली है, जो उससे नॉलेज लेते हैं.
_ मनोरंजन करने वालों के लिए वह असल में और भी घातक हो गया है.
स्मार्टनेस के इस महान युग में मानवीय श्रम लगातार कम हो रहा है..

_ परिणामतः व्यस्तता कम हो रही है, खालीपन बढ़ रहा है.
_ जिसकी वजह से सभी में धीरे धीरे ही सही मानसिक और शारीरिक परिवर्तन हो रहे हैं.
_ चौबीस घंटे का बड़ा भाग आजकल इंटरनेट के विभिन्न माध्यमों पे गुजर रहा है.
_ अब ये इंटरनेट हमारी आदत बन चुका है.
_ समय व्यतीत करना एक बड़ी समस्या है,
_ वर्तमान में किसी को इसका हल नहीं सूझ रहा है,
_ आपस में मिलना-जुलना, आना-जाना, चर्चा-परिचर्चा, आपसी संवाद और मेहमाननवाजी सब खत्म हो गया है.
_ परस्परता सामाजिकता भाईचारे में बहुत तेजी से कमी आई है,
_ भुगतान हमे हमारे बच्चों को अकेले रहकर करना पड़ रहा है.
_ अकेलेपन को खत्म करने के लिए लोगों को सिर्फ इंटरनेट ही दिखता है.

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected