सुविचार – ग़लतफ़हमी, गलतफहमी – 138

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ग़लतफ़हमी ……

किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी दिल में न पालें, इसके आधार पर कोई भी सम्बन्ध न तोड़ें, जब भी किसी बात पर शंका हो बातचीत के जरिये उसे सुलझाने का प्रयास करें, याद रखें ज्यादा त्तर गलत फहमी हमारे शंकालु दिमाग या परिस्थितियों की उपज होती है !!

अगर आप सोच रहे हो कि वक़्तके साथ ज़िंदगी आसान हो जाएगी..

_ तो इस ग़लतफ़हमी से निकलो यार.. मज़बूत तो आप को ही होना पड़ेगा.!!

खुशफ़हमी असल में होती तो ग़लतफ़हमी ही है,

_ बस हम किसी ग़लतफ़हमी के सच होने के मुगालते में उसे खुशफ़हमी कह देते हैं.

जुड़े रहने के लिए बेइंतहा भरोसा चाहिए..

_ बिछड़ने के लिए एक गलतफहमी ही काफ़ी है..!

अगर आप को पूरी बात नहीं पता तो चुप रहना ही बेहतर है,

_ अधूरी जानकारी से राय बनाना ग़लतफ़हमी जो जन्म देता है.!!

अपने मन में ख़ुद को लेकर गलतफहमी कभी मत पालो और न ही ख्याली पुलाव की दुनिया में जियो.!!

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