दाम्पत्य−जीवन को व्यवस्थित बनाये रखने के लिए धन की उतनी आवश्यकता नहीं, आलीशान महल, मकान भी उतने आवश्यक नहीं, जितना प्रेमपूर्ण वातावरण होता है. सुख−सन्तोष का जीवन झोपड़ी में भी जिया जा सकता है,
बशर्ते कि लोगों के अन्तःकरण पारस्परिक प्रेम−भावनाओं को स्थिर रख सकें.