सुविचार 3916

तुलना के खेल में मत उलझो, क्योंकि इस खेल का कहीं कोई अंत नहीं..

_जहाँ तुलना की शुरुआत होती है, वहीं से आनंद और अपनापन खत्म होता है…

हर व्यक्ति में अलग क्रिया प्रतिक्रिया होती है,

_ किन्हीं व्यक्तियों का जीवन एक जैसा दिखने पर भी एक समान प्रतिक्रिया नहीं होती.

_ एक समान दिखता वैभव-ऐश्वर्य किसी को लिप्त करता है, किसी में संतुष्टि और ऊब भरता है.

_किसी से किसी की तुलना करनी व्यर्थ है.

बुद्धि द्वारा जीना – तुलनाओं, गणनाओं, योजनाओं, अवधारणाओं, विचारों द्वारा – यह सब गर्व की एक संरचना है जिसमें कोई सुंदरता या खुशी नहीं है – कोई जीवन नहीं है.

प्यार से जीना ही जीना है.

Living by intellect – by comparisons, calculations, schemes, concepts, ideas – is all a structure of pride in which there is not beauty or happiness – no life.

Living by love is living.

‘तुलना’ दुख का कारण है.’

_मैंने हज़ारों, लाखों की सैलरी पाने वाले उन लोगों को तब दुखी होते देखा है,
_जब उन्हें पता चलता है कि उनके साथी की सैलरी उनसे अधिक है.
_पहले जो अपनी सैलरी से खुश थे, दूसरे की अधिक सैलरी के बारे में सुन कर दुखी हो गए. क्यों ? “तुलना”
_मेरे से ज्यादा उसके पास कैसे ? “तुलना” यही है दुख.
— “तुलना मत कीजिए” किसी की अच्छाई से, किसी की सुंदरता से, किसी की तरक्की से..
_ खुशी ढूंढिए, अपने भीतर..
_जो मिला है, पर्याप्त है ..और चाहिए तो और पाने की कोशिश कीजिए..
_ मत रोकिए और पाने की चाहत को..
_लेकिन दूसरे को देख कर दुखी मत होइए..
– आपको जो भी मिला था, आप खुश हुए थे.
_तब आपने दूसरे के विषय में नहीं सोचा था.
_लेकिन जैसे ही दूसरे को भी कुछ मिला, वो खुश हुआ..
_अच्छी बात थी, लेकिन आप दुखी हो गए..
— “संसार दुखी है” अपने दुख से नहीं, दूसरे की खुशी से..
_संसार को खुश होना चाहिए था “अपनी खुशी से”
_ पर ये मन है,, ये स्वीकार नहीं करता किसी और को अधिक मिले.
_तुलना ही दुख है.
_ दुख जीवन का शाप है, खुशियों का ग्रहण है.
_दुख से मुक्त कीजिए खुद को..
_अपनी हथेली को देखिए..
_उनमें उकेरी गई आड़ी-तिरछी रेखाओं को देखिए, अपनी मुट्ठी को देखिए.
_क्या होगा, दूसरे की हथेली की रेखाओं को झांकने से.
_क्या होगा दूसरों की मुट्ठी खोल कर देखने से.
_ उसके पास कम हुआ तो आप खुश होंगे, हमदर्दी भी रखेंगे.
_ लेकिन अधिक हुआ फिर ?
_ फिर आपकी खुशी काफूर हो जाएगी.
_अपनी खुशी को संभालिए..
_ संतोष रखिए या न रखिए, “तुलना मत कीजिए”
_”तुलना दुख का कारण है”
_ अपनी खुशी मत फेंकिए.

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