हर जगह महिलाओं को इसकी घोषणा करनी चाहिए.
Being a mother is the hardest job on earth. Women everywhere must declare it so. – Oprah Winfrey
_ जनम लेते ही मां का दर्द, बच्चे को भी रुला गया ..!!
वो मां है …..घर सजाना भी जानती है..
_ माँ कहती है, बेटा तू सदा खुश रहना !!
_ माँ ना जाने कैसे बिन कहे मेरी हर बात जान लेती है ..
_ मां आवाज सुनकर बुखार नाप लेती है !!
_ ये तो बस….. “ख्याल” ही हो सकता है…
_ कह के ना ना मेरी हर बात मान लेती है !!
और जो अपने बच्चों से बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना असीम प्रेम करती है.
_ जो खुद से भी शायद नहीं कह पाते, _ वो माँ सुन लेती है ..
पर सारा कीमती सामान उसी में छुपा रहता है.
माँ की गोद में एक झपकी, सपने साकार सभी होते.
खिल उठता हूँ जब पड़ती है मुझ पर मेरी माँ की नज़र.
बच्चा गर भूखा हो तो माँ शर्म को भुला देती है.
रहे किसी भी शरीर में माँ तो फिर माँ होती है ।।
गांव में बैठी मां ने खाना छोड़ दिया..
_ माँ है जनाब _ वो कहाँ हार मानती है..
महंगे होटल में आज भी भूख मिटती नहीं मां..!
_ धरा पर कौन भला तुझसा स्वरुप है माँ !!
स्वागत में चेहरों को हाथों में लेकर चूमती,
विदा में सिर पर हाथ रख कर देती आशीष..
घर अब भी है, लेकिन माँ नहीं..
विदा के समय, मुड़ कर देखने पर, अब वह दिखाई नहीं देती..!!
अब माँ से टूट जाये तो, कुछ मत कहना,
जब मांगता था गुब्बारा, बचपन में माँ से,
अब माँ चश्मा मांगे तो, ना मत कहना,
जब मांगता था चॉकलेट, बचपन में माँ से,
अब माँ दवाई मांगे तो, तू ना मत कहना,
जब डांटती थी माँ, शरारत होती थी तुझसे,
अब वो सुन ना सके तो, बुरा उसे मत कहना,
जब चल नहीं पाता था, माँ पकड़ के चलाती थी,
अब चल न पाए वो, उसे सहारा तुम देना,
जब तू रोता था तब, माँ सीने से लगाती थी,
अब सह लेना दुःख तुम, माँ को रोने मत देना,
जब पैदा हुए थे तुम, तब माँ तुम्हारे पास थी,
जब अंतिम वक्त हो तो, तुम उसके पास रहना.
।। माँ ।।
मेरे इस वजूद की, तू वजह है माँ।
कैसे कह दूँ बस एक mother’s day, तेरा है माँ।
मेरी हर साँस है तू, माँ,
मेरी हर आस है तू माँ ।
उँगली पकड़ कर चलना सीखा,
मेरे हर एक कदम में, तेरा ही साहस है माँ ।
मेरे हकलाने को तूने जुबान दी है,
मुझे इस दुनिया में, मेरी पहचान दी है
मुँह में दूध की धार, अब तक है उधार,
उठना,बैठना, चलना फिरना,
सब में तेरी छाप है माँ,
तुझे ढूंढ़ता है, मन विचलित है,
तेरा बेटा उदास है, माँ ।
कैसे कह दूँ ?
सिर्फ एक ही दिन तेरा है,
मेरे जीवन का एक एक पल,
हर दिन, हर छण, तेरा ही है माँ ।
।। पीके ।।
माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है
माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है
माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है
माँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना है
माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है
माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है
माँ आखों का सिसकता हुआ किनारा है
माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है
माँ झुलसते दिनों में कोयल की बोली है
माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर की रोली है
माँ कलम है, दवात है, स्याही है
माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है
माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है
माँ फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है
माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है
माँ जिंदगी है, मुहल्ले में आत्मा का भवन है
माँ चूड़ी वाले हााथों पे मजबूत कंधों का नाम है
माँ काशी है, काबा है, चारो धाम है
माँ चिंता है, याद है, हिचकी है
माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है
माँ चूल्हा, धुआँ, रोटी और हाथों का छाला है
माँ जिंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है
माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है
मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है
तो माँ की यह कथा अनादि है, अध्याय नहीं है
और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
तो माँ का महत्व दुनियाँ में कम हो नहीं सकता
औ माँ जैसा दुनियाँ में कुछ हो नहीं सकता
तो मैं कला की पंक्तियाँ माँ के नाम करता हूँ
मैं दुनियाँ की सब माताओं को प्रणाम करता हूँ।
आगोश मे ले कर सब ग़म भुला देती है,,,
यूँ लगता है जैसे जन्नत से आ रही है खुशबु ,,,,
जब वो अपने पल्लू से मुझे हवा देती है,,,
मैं जो अनजाने में करूँ कोई गलती,,,
मेरी “माँ” इस पर भी मुस्कुरा देती है,,,
क्या खूब बनाया है रब ने रिश्ता “माँ” का,,,
वीरान घर को भी “माँ” जन्नत बना देती है…!!!
माँ तुम होती तो कह देता, एक कप चाय बना दो।।
थक गया जली रोटी खा-खा के
माँ तुम होती तो कह देता, दो परांठे बना दो।।
भीग जाती हैं आँसुओं से आँखें,
माँ तुम होती तो कह देता,
आंचल से आँसु पोंछ दो।।
रोज वही नाकाम सी कोशिश
करता हूं खुश रहने की,
माँ तुम होती तो मुस्कुरा लेता,
मां बहुत दूर निकल आया हूँ घर से
बस तेरे सपनों की परवाह न होती….
तो कब का घर चला आता।।
जिसने खुद के रक्त से, भीगकर जमाया है तुझे
जिसे तू भेज रहा है वृद्धा आश्रम
उसे छोड़कर _ बाकी सब ने भरमाया है तुझे
सुखी रोटियां खाकर सुबह शाम बिताई उसने
बाकी सब ने खुद की आवश्यकता
पूरी करने के लिए फरमाया है तुझे
ना भेज उसे वृद्धा आश्रम
जिसने अपनी जिंदगी को
मौत के तले रख के जमाया है तुझे ..
लेती नहीं दवाई *”माँ”*, जोड़े पाई-पाई *”माँ*।
दुःख थे पर्वत, राई *”माँ*”, हारी नहीं लड़ाई *”माँ*”।
इस दुनियां में सब मैले हैं, किस दुनियां से आई *”माँ”*।
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई *”माँ* ।
जब भी कोई रिश्ता उधड़े, करती है तुरपाई *”माँ*” ।
बाबू जी तनख़ा लाये बस, लेकिन बरक़त लाई *”माँ*”।
बाबूजी थे सख्त मगर , माखन और मलाई *”माँ*”।
बाबूजी के पाँव दबा कर सब तीरथ हो आई *”माँ*”।
नाम सभी हैं गुड़ से मीठे, मां जी, मैया, माई, *”माँ*” ।
सभी साड़ियाँ छीज गई थीं, मगर नहीं कह पाई *”माँ”* ।
घर में चूल्हे मत बाँटो रे, देती रही दुहाई *”माँ*”।
बाबूजी बीमार पड़े जब, साथ-साथ मुरझाई *”माँ”* ।
रोती है लेकिन छुप-छुप कर, बड़े सब्र की जाई *”माँ”*।
लड़ते-लड़ते, सहते-सहते, रह गई एक तिहाई *”माँ*” ।
बेटी रहे ससुराल में खुश, सब ज़ेवर दे आई *”माँ*”।
“माँ” से घर, घर लगता है, घर में घुली, समाई *”माँ*” ।
बेटे की कुर्सी है ऊँची, पर उसकी ऊँचाई *”माँ”* ।
दर्द बड़ा हो या छोटा हो, याद हमेशा आई *”माँ”*
घर के शगुन सभी *”माँ”* से, है घर की शहनाई *”माँ*”।
सभी पराये हो जाते हैं, होती नहीं पराई *मां*