भारी – भारी बातें हैं पर हल्के हल्के लोग हैं. पता नहीं कब दोस्त यहाँ अपना दुश्मन बन जाएगा, गहरे – गहरे वादे हैं पर उथले – उथले लोग हैं. बगुला भगत बने फिरते पर हंस खूब कहलाते हैं, भीतर से काले, ऊपर से उजले – उजले लोग हैं. डांवाडोल लिए दिल फिरते, बातें करते सधी हुयी, जाने किस मद में हैं डूबे बहके – बहके लोग हैं. मेरी मानो तो दुनियाँ की बातों में मत आ जाना, भीतर तो दुर्गंध लिए, पर महके – महके लोग हैं.
बदली-बदली दुनिया है ये बदले-बदले लोग हैं,