मैं मानता हूं पैसे से सबकुछ खरीदा नहीं जा सकता
_ परंतु गरीबी से तो कुछ भी खरीदा नहीं जा सकता..!!!
परंतु उस के अवगुण भी दूसरों को सदगुण लगते हैं, जब कि गरीबी मनुष्य से उस के सदगुणों को भी छीन लेती है.
संपन्नता मनुष्य में बहुत सारे गुणअवगुण भर देती है,