सुविचार – मेहमान – अतिथि – गेस्ट – 048

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आपके यहाँ जब कोई मेहमान आये तो..

_ उसके लिए ऐसा प्रयास करो कि ..उसे कोई तकलीफ़ न हो,
_ और जब कहीं आप मेहमान बन कर जाओ तो..
_ ऐसे रहो कि मेज़बान को अहसास न हो कि.. आप को कोई तकलीफ़ या कमी है.
सच्चाई तो आज की ये है आज कल गेस्ट आते ही कम हैं और आते भी हैं तो जाने की जल्दी और उनको भेजने की जल्दी के साथ..!

रिश्ते पनपे कैसे ?
_ अगर आप जाएंगे नहीं तो आपके पास भी कोई आएगा कैसे..
_ नई पीढ़ी भी यूं ही अजनबियत के साथ पल पुस जाएगी..
_ कल को एक दूसरे को पहचानेगी ही नहीं बर्दाश्त करना तो दूर की बात है..!!
आजकल कोई गेस्ट आता कहाँ है.

_ कोई आता भी है तो १-२ घंटे के लिए..
_ रात को रुकने का तो कोई सवाल ही नही..
_ सब रिश्ते धीरे धीरे ख़तम होते जा रहे हैं, ज्यादातर खून के रिश्ते..
_ किसी के पास वक़्त ही नही है और खासकर महानगरो मे रहने वालो के लिए..
_ फ्लैट का साइज जरूर बढ़ रहा है, लेकिन दिलो के साइज छोटे होते जा रहे हैं..!!
यह सही है कि अब गेस्ट का आना कोई पसंद नहीं करता..

_ और गेस्ट भी किसी के घर जाना पसंद नही करता..
_ हकीकत यह है कि हम सब की अपनी एक जीवन शैली हो गयी है..
_ हमारी अपनी प्रातः चर्या और दिनचर्या है, दूसरे के घर मे यह लागू नहीं हो पाती..
_ घर बड़ा हो, उसमें पर्याप्त जगह भी हो.. मगर अब गेस्ट कम ही आते हैं..!!
पहले मेहमानों के लिए दिल में जगह थी, सब जरा सी जगह में ही समा जाते थे.

_ पुरानी बातें अब सब हवा हो गई..
_ अब वास्तव मे किसी के घर जल्दी कोई रुकता नहीं है..
_ हमारा शरीर अब आराम का इतना अभ्यस्त हो गया है ज़मीं पर बैठ लेट ही नहीं पाता है, सबको अपना कमरा और पलंग चाहिए !!
किसी के घर जाओ तो अपनी आँखों को काबू में रखो, ताकि उसकी कमियां न दिखे !

_ किसी के घर से निकलो तो जुबान को काबू में रखो, ताकि उसके घर की इज्जत और राज़ दोनों सलामत रहें,
_ कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है और क्यूँ कर रहा है, इन सबसे आप जितना दूर रहोगे, उतना ही खुश रहोगे,
_ जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा है, क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान से उसकी जुबान ही करवाती है,
_ बोलने से पहले सोचो, क्योंकि बोलने के बाद सोचा नहीं पछताया जाता है..!!
अब मेहमान बदल गये हैँ, अब मेहमान आते हैँ तो वह चाहते हैँ कि उनको होटल जैसा ट्रीटमेंट मिले.!!
आजकल तो अपने भी कहलाते हैं मेहमान..

_एक वो दौर था मेहमान भी मेहमान नहीं थे.!!
हमें तो अच्छा लगता है कि कोई अतिथि हमारे पास आया है,
_ अपनी सुविधा और छमता के अनुरूप उनका ह्रदय से स्वागत करते हैं.!!

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