सुविचार – परिवार – 047 | Mar 13, 2014 | सुविचार | 0 comments मानव जीवन में परिवार की भूमिका उस कुशन या गद्दे की तरह की होती है, जो हमें जीवन में सफलता की ऊंचाइयों से अचानक गिरने पर हमें जख्मी होने से बचाती है. इसलिए सफलता पाने की कोशिश में केवल संघर्ष ही अनिवार्य नहीं है, बल्कि उन अपनों के प्यार व सहानुभूति की भी दरकार होती है जिन की उपस्थिति के बिना जीवन तथा जहान की सारी खुशियां अधूरी प्रतीत होती है. आप के अपने आप के सपनों के पीछे भागने की रेस में आप के साथ होंगे तो आप को एक अद्भुत ऊर्जा तथा प्रेरणा का एहसास पलप्रतिपल होगा. अपनों के प्यार को खो कर पाई गई किसी भी कामयाबी की कीमत कभी भी इतनी अधिक नहीं होती, जो आप के जीवन की भावनात्मक कमी की भरपाई कर सके. अगर परिवार में नई और पुरानी पीढ़ी एक दूसरे कि भावना को समझ कर परस्पर सामंजस्य बिठाये तो _जटिल परिस्थितियां कभी उत्पन्न ही नहीं होंगी, _यदि दोनों थोडा- थोडा झुक जाएँ तो खुशियों का वृत्त अपने आप ही पूरा हो जायेगा. परिवार एक पेड़ की शाखाओं की तरह होता है, जो बढ़ती तो अलग- अलग दिशाओं में है, लेकिन सब की जड़ एक ही है ! बेशुमार पैसा और दुनिया का कोई भी ब्रांड, आपको वो ख़ुशी नहीं दे सकता ; जो आपको आपका परिवार दे सकता है. परिवार को मालिक बनकर नहीं बल्कि माली बनकर संभालो, जो ध्यान तो सबका रखता हो.. पर अधिकार किसी पर ना जताता हो.. परिवार की नीवं जब मिल- जुलकर अनेक कंधों पर सवार होती है, तब वह मजबूत बनती है. ” पारिवारिक बंधन एक पेड़ की तरह होता है, यह झुक सकता है लेकिन टूट नहीं सकता “ परिवार उस वृक्ष की तरह होता है जिसकी घनी छांह में हम खुद को सुखद स्थिति में महसूस करते हैं. परिवार बर्बाद होने लगते हैं, जब समझदार मौन रहते हैं और नासमझ बोलने लगते हैं. अपने परिवार से मिल के रहो, _ दुनिया की हर खुशी तुम्हारा दरवाजा खटखटाएगी।। “अगर मैं अपने परिवार के साथ सामंजस्य बिठाता हूं, तो यह सफलता है “ परिवार एक ऐसा अनमोल उपहार है, ज़्यादा तर कार्य हम अपनी ज़िन्दगी में अपने परिवार की ख़ुशी और भलाई के लिए करते हैं, इसलिए आपसी तालमेल और रिश्तों में मिठास लाना एवं रखना बहुत ही अनिवार्य है. किसी घर में एक साथ रहना परिवार नहीं कहलाता… बल्कि एक साथ जीना, एक दूसरे को समझना और एक दूसरे की परवाह करना परिवार कहलाता है.. बिना समझ के परिवार दिशाहीन होकर, सदस्यों के पतन का कारण बनता है, इसलिए परिवार में हमेशा एक- दूसरे को समझने को प्रधानता दें. दूसरों की बातों व रिश्तेदारों को महत्ता देने वाला परिवार धीरे धीरे अपने निजी सदस्यों के बीच संबंध को खराब कर लेता है, _ _ जिससे परिवार की वृद्धि असंभव हो जाती है. जड़ों से जुड़े रहना जरुरी है…. परिवार के साथ हैं तो तनाव से दूर और खुश रहेंगे. अपने काम और परिवार के बीच हमेशा संतुलन बनाए रखें. कार्य और परिवार दोनों बहुत जरुरी है लेकिन हम जो भी करते हैं, वह परिवार के लिए ही करते हैं. सो, कार्य महत्त्वपूर्ण है, लेकिन परिवार उस से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. खुशहाल परिवार की पहचान :- जिस परिवार के सदस्यों में एक-दूसरे पर भरोसा, आपसी प्रेम और आदर का भाव हो, वह परिवार सबसे खुशहाल परिवार कहलाया जाएगा. आपका परिवार कितना अमीर है, ये मायने नहीं रखता ; आपका परिवार कितना खुश है, ये बहुत मायने रखता है.. परिवार ही एक पवित्र बंधन हुआ करता था,_ _ ख़ैर ! दुःख होता है की आज प्रगतिशील समाज में रिश्तों का कोई मूल्य नहीं है…!!! Submit a Comment Cancel reply Your email address will not be published. Required fields are marked *Comment Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ