सुविचार 4007

अपरिपक्व प्रेम जहाँ हमें बाँधे रखता है, _ वहीँ परिपक्व प्रेम मुक्त कर देता है.

सुविचार 4005

धरती में हमारा जीवन विकास के लिए है. _प्रत्येक जीवन _हमारी बुद्धिमत्ता, कौशल और व्यवहार में विकास के लिए है.

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