सुविचार 4660
हम भागने के इतने आदी हो गए कि रुकने को अस्थिरता समझने लगे,
जबकि इस भाग-दौड़ का मक़सद, एक स्थायी पते की तलाश था.
जबकि इस भाग-दौड़ का मक़सद, एक स्थायी पते की तलाश था.
इसका मतलब ये थोड़ी है कि इंसान चलना ही छोड़ दे.
जब वो चीज उसके पास होती है तो उसकी वो कद्र नहीं करता है..!
_ और जो हमें मिला है उसकी कद्र करना भूल जाते हैं.!!