सुविचार 4596

अपने मन की किताब ऐसे व्यक्ति के पास ही खोलना,

जो पढ़ने के बाद आपको समझ सके.

सुविचार 4595

यदि आप आग के पास बैठ कर गरमाहट और बर्फ़ के पास बैठ कर ठंडक महसूस करते हैं तो आप ऐसे व्यक्ति के संपर्क में रूपांतरित क्यों नहीं होंगे, जो अनुशासन व शिष्टाचार में परिपूर्ण है.

सुविचार 4594

उन्हीं यादों को सहेजिए जो आँखों में चमक पैदा करे,

उन्हें नहीं जो चेहरे पर शिकन पैदा करे.

सुविचार 4593

अपने भीतर और अपने काम, दोनों में पूर्णता हासिल करने के लिए हमें खुद से लगातार पूछते रहना चाहिए,

” मैं खुद को और कितना बदल सकता हूँ ताकि मेरा काम अधिक प्रभावी हो जाए ? “

सुविचार 4592

ये इंसान की फितरत भी क्या लाजवाब है,

बेहतर की तलाश में बेहतरीन को खो देता है.

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