सुविचार 3941

*स्वस्थ रहें, मस्त रहें, हमेशा मुस्कराते रहें ; कभी अपने लिए कभी अपनों के लिए।।*

सुविचार 3940

सर्वोत्तम सुन्दरता है क्षमा अतुलनीय बल है,

नम्रता सर्वश्रेष्ठ गुण है एवं मैत्री सर्वोत्कृष्ट संबंध है,*

सुविचार 3939

पाकीज़गी की बात यूं ही नहीं कही जाती, गंदगी चाहे करने में हो, कि सोचने में हो, रहने में हो कि कहने में हो, ज़िंदगी को सड़ा दिया करती है.
किसी व्यक्ति के भीतर की गंदगी तभी धूल सकती है,

_ जब वो ये स्वीकार करे कि उसके भीतर कोई गंदगी है.

सुविचार 3938

हर कोई दुनिया बदलने कि सोचता है,

_ कोई भी अपने आपको बदलने कि नहीं सोचता.

उस दुनिया के बारे में सोचें जिसे आप जानते हैं, उस दुनिया के बारे में नहीं

_जिसके बारे में आप नहीं जानते, बस कहानियाँ सुनी हैं.!!

सुविचार 3937

” वो कैसा ज्ञान जो जीवन को असहज़ करता हो,

सच्चा ज्ञान वही होता है जो जीवन में सहज़ता लाता हो “

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