सुविचार 3918

सपना एक देखोगे, मुश्किलें हजार आएंगी _ लेकिन

_ वो मंजर बड़ा खूबसूरत होगा, जब कामयाबी शोर मचाएगी.

जब आप नियमानुसार काम करने पर विश्वास करते हों तो फिर डर नहीं लगता,

_ आप में हर मुश्किल का सामना करने का आंतरिक साहस होता है..!!

हम जो काम कर रहे हैं, उसे करते हुए अपने आसपास की दुनिया को बेहद खूबसूरत बनाए रहो,

_इसमें मुश्किल तो है _लेकिन आपकी छोटी सी कामयाबी के बहुत बड़े मायने हैं..!!

यदि आप अपने सपनों का निर्माण नहीं करते हैं, तो कोई और आपको अपने सपनों का निर्माण करने के लिए किराए पर लेगा.

सुविचार 3917

ऊंचाई पर वो ही पहुँचते हैं जो, _ प्रतिशोध के बजाय परिवर्तन की सोच रखते हैं.

सुविचार 3916

तुलना के खेल में मत उलझो, क्योंकि इस खेल का कहीं कोई अंत नहीं..

_जहाँ तुलना की शुरुआत होती है, वहीं से आनंद और अपनापन खत्म होता है…

हर व्यक्ति में अलग क्रिया प्रतिक्रिया होती है,

_ किन्हीं व्यक्तियों का जीवन एक जैसा दिखने पर भी एक समान प्रतिक्रिया नहीं होती.

_ एक समान दिखता वैभव-ऐश्वर्य किसी को लिप्त करता है, किसी में संतुष्टि और ऊब भरता है.

_किसी से किसी की तुलना करनी व्यर्थ है.

बुद्धि द्वारा जीना – तुलनाओं, गणनाओं, योजनाओं, अवधारणाओं, विचारों द्वारा – यह सब गर्व की एक संरचना है जिसमें कोई सुंदरता या खुशी नहीं है – कोई जीवन नहीं है.

प्यार से जीना ही जीना है.

Living by intellect – by comparisons, calculations, schemes, concepts, ideas – is all a structure of pride in which there is not beauty or happiness – no life.

Living by love is living.

‘तुलना’ दुख का कारण है.’

_मैंने हज़ारों, लाखों की सैलरी पाने वाले उन लोगों को तब दुखी होते देखा है,
_जब उन्हें पता चलता है कि उनके साथी की सैलरी उनसे अधिक है.
_पहले जो अपनी सैलरी से खुश थे, दूसरे की अधिक सैलरी के बारे में सुन कर दुखी हो गए. क्यों ? “तुलना”
_मेरे से ज्यादा उसके पास कैसे ? “तुलना” यही है दुख.
— “तुलना मत कीजिए” किसी की अच्छाई से, किसी की सुंदरता से, किसी की तरक्की से..
_ खुशी ढूंढिए, अपने भीतर..
_जो मिला है, पर्याप्त है ..और चाहिए तो और पाने की कोशिश कीजिए..
_ मत रोकिए और पाने की चाहत को..
_लेकिन दूसरे को देख कर दुखी मत होइए..
– आपको जो भी मिला था, आप खुश हुए थे.
_तब आपने दूसरे के विषय में नहीं सोचा था.
_लेकिन जैसे ही दूसरे को भी कुछ मिला, वो खुश हुआ..
_अच्छी बात थी, लेकिन आप दुखी हो गए..
— “संसार दुखी है” अपने दुख से नहीं, दूसरे की खुशी से..
_संसार को खुश होना चाहिए था “अपनी खुशी से”
_ पर ये मन है,, ये स्वीकार नहीं करता किसी और को अधिक मिले.
_तुलना ही दुख है.
_ दुख जीवन का शाप है, खुशियों का ग्रहण है.
_दुख से मुक्त कीजिए खुद को..
_अपनी हथेली को देखिए..
_उनमें उकेरी गई आड़ी-तिरछी रेखाओं को देखिए, अपनी मुट्ठी को देखिए.
_क्या होगा, दूसरे की हथेली की रेखाओं को झांकने से.
_क्या होगा दूसरों की मुट्ठी खोल कर देखने से.
_ उसके पास कम हुआ तो आप खुश होंगे, हमदर्दी भी रखेंगे.
_ लेकिन अधिक हुआ फिर ?
_ फिर आपकी खुशी काफूर हो जाएगी.
_अपनी खुशी को संभालिए..
_ संतोष रखिए या न रखिए, “तुलना मत कीजिए”
_”तुलना दुख का कारण है”
_ अपनी खुशी मत फेंकिए.

सुविचार 3915

” लत अगर गुलामी की लगी हो तो, _ आज़ादी के ख्याल से भी ड़र लगता है,”
गर कोई दूसरा इंसान बस इतनी सी बात जान लेता है कि हमें उसकी कौन सी बात चुभती है तो वो हमसे केवल चार कड़वी बातें कहकर हमसे ज़िन्दगी भर अपनी गुलामी करवा सकता है और ज़िन्दगी भर के लिए हमारा मालिक बन सकता है…

एक हम हैं कि जो बिना सोचे समझे, बिना विचारे, किसी अच्छे गुलाम की तरह उसके बारे में सोच सोचकर अपना कीमती समय उस पर बर्बाद कर देते है.
_ हमें इस बात का भ्रम होता है कि हम उसके खिलाफ लड़ रहे हैं लेकिन वास्तव में हम उसी के बिछाये खेल में, उसकी ही मर्जी से खेल रहे होते है,
_ वो एक के बाद एक दाव चलता रहता है और हम पूरी ज़िंदगी गुस्से में उसी की बजाई धुन पर नाचते रहते है…
यह सारा खेल उसकी पसंद का होता है, समय और तारीख भी वही तय करता है, कितना मनोरंजन चाहिए, यह सब कुछ भी वही तय करता है.
_ हमारा काम तो बस प्रतिक्रिया देते हुए उसका मनोरंजन करना है…
_ हंसी की बात यह है इस मनोरंजन के बदले हमें कभी कोई कीमत भी नही मिलती, आखिर में हम बस मुफ्त के गुलाम साबित होते हैं.
संयम, धैर्य, दूरदर्शिता, बड़प्पन इन गुणों को अपनाने से हम किसी दूसरे के गुलाम न होकर खुद अपने मन के स्वामी बन जाते हैं.
_ अगर हम यह गुण धारण कर पाते हैं तो किसी दूसरे इंसान के लिए हमें उसके मनपंसद खेल में खिलाना, हमें गुस्सा दिलाना और हमसे मनचाही प्रतिक्रिया लेकर अपना मनोरंजन करवाना नामुमकिन हो जाता है…

सुविचार 3914

चिंतन के समय में इंसान जब चिंता की चिता पर बैठ जाता है, तब पहले सब्र का बांध टूटता है;

फिर विवेक साथ छोड़ देता है और अंत में जुबान बेकाबू हो जाती है !!

यही हमारे पतन का रास्ता बनता है.

सुविचार 3913

जिसको जो कहना है कहने दो ; आपका क्या जाता है..

_समय समय की बात है, वक्त सबका आता है…

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