सुविचार 3870

“मनुष्य” की “मानवता” उसी समय नष्ट हो जाती है !

जब उसे दूसरों के “दुःख” में “हंसी” आने लगती है !!

सुविचार 3868

जहाँ प्रेम होता है…वहाँ किसी चीज़ की चाह या उम्मीद नहीं होती.

..वहाँ केवल समर्पण होता है…!!!

आप जिस किसी के भी प्रति समर्पण करते हैं, आप उनकी ऊर्जा को अपने भीतर प्रवाहित होते हुए महसूस कर सकते हैं.!

सुविचार 3867

जिन चार लोगों में बैठ कर आप दूसरों की बुराई करते हैं,

_ यकीन मानिए आपके जाते ही वहां पर आपकी बुराई शुरू हो जाएगी.

सुविचार 3866

वर्त्तमान में जीना ही वास्तव में जीवन जीने की कला है,

_ इसी के द्वारा जीवन का सर्वांगीण विकास सम्भव होता है.

सुविचार 3865

व्यक्तिगत स्वाधीनता यहाँ तक ही होनी चाहिए कि,

वह दूसरों के लिए परेशानी न बने.

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