सुविचार 3870
“मनुष्य” की “मानवता” उसी समय नष्ट हो जाती है !
जब उसे दूसरों के “दुःख” में “हंसी” आने लगती है !!
जब उसे दूसरों के “दुःख” में “हंसी” आने लगती है !!
..वहाँ केवल समर्पण होता है…!!!
_ यकीन मानिए आपके जाते ही वहां पर आपकी बुराई शुरू हो जाएगी.
_ इसी के द्वारा जीवन का सर्वांगीण विकास सम्भव होता है.
वह दूसरों के लिए परेशानी न बने.