सुविचार 3605

अपनों की कोई बात बुरी लगे तो ख़ामोश हो जाइये, अगर वो अपने हैं तो समझ जायेंगे,

और अगर न समझे तो आप समझ लेना कि वो अपने थे ही नहीं.

सुविचार 3604

आप इच्छा को त्याग नहीं सकते, _ आप उसकी प्रकृति और उसकी निरर्थकता को सिर्फ़ समझ सकते हैं.

सुविचार 3603

जिन्हें जिन्दगी जीने की खुशी नहीं देती, _ उन्हें जीवन में तजुर्बे बहुत देती है.

सुविचार 3602

जो व्यक्ति खुद में मस्त और खुश नहीं रह सकता,

_ उसको संसार की सारी दौलत मिल कर भी संतुष्टि नहीं दे सकती..

“-जो थोड़े से संतुष्ट नहीं है, वह किसी चीज़ से संतुष्ट नहीं है.”

“-खुश रहने का मतलब यह जानना है कि थोड़े से संतुष्ट कैसे रहा जाए.”

सुविचार 3601

” दुर्भावना से भरे मनुष्य की उपस्थिति मात्र से ही,

आस पास का समस्त परिवेश नकारात्मक उर्जा से भर जाता है,”

सुविचार 3600

जिस की अपनी कोई राय नहीं, बल्कि जो दूसरों की राय और रूचि पर निर्भर रहता है वह गुलाम है.

हम हमेशा दूसरों के बारे में अपनी राय बहुत जल्दी बना लेते हैं कि सामने वाला कैसा है !!
आप किसी के बारे में जो राय अपने मन में बनाते हैं,

_ कोई ज़रूरी नहीं कि वही सही हो.
_ राय आपके मन की फैक्ट्री में बनी है.
_ निर्माता आप है.
_ आप आजाद हैं किसी के लिए कुछ भी सोचने के लिए,
_लेकिन सार्वजनिक करने के लिए नहीं.
_ किसी के बारे में अपने मन की फैक्ट्री में बनी राय को ..किसी के सामने जाहिर करना, किसी की निंदा करना, चुगली करना, चरित्र हनन करना ..ये दुर्गुण है,
_ किसी को जज मत कीजिए.
_ तब तक बिल्कुल नहीं, जब तक आपके पास प्रमाण न हो.
_और ज़रूरी नहीं कि ..आपकी नज़रों का प्रमाण प्रमाण ही हो.
— बहुधा परिस्थितियां कुछ और बयां करती हैं ..जबकि वास्तविकता कुछ और होती है,
_ इसलिए किसी भी इंसान के बारे में कुछ राय बनाने से पहले उसके बारे में वास्तविकता का पता कर लेना चाहिए.
— लेकिन आम आदमी तो सोचने की जहमत भी नहीं उठाता,
_ बस कह बैठता है, ..अपने मन की फैक्ट्री से निकली बात..!!
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