सुविचार 3569

यह सच है कि समझदारी आत्म- निरिछण से बढ़ती है, लेकिन इसके लिए समय किसके पास है ?

जो इसके लिए रूचि पैदा करेंगे, उनको समय भी मिल जायेगा.

सुविचार 3567

अपनी सोच और अप्रोच हमेशा सकारात्मक और प्रगतिशील रखें.

_नकारात्मक सोचनेवालों के साथ ज़्यादा बातचीत न करें.

सुविचार 3565

जीवन हमारे कर्मों पर आधरित है और ये ही हमारी सफलता व असफलता का आँकलन (कर्म ) करता है, हमारे सुख दुःख भी इसी में निहित हैं !

आखिकार जीवन न तो पीड़ा है और न ही आनंद, _ यह वैसा बन जाता है जैसा आप उसे बनाते हैं !!

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