सुविचार 4352
इंसान सब मार सह सकता है, लेकिन धोखे की मार सबसे ज्यादा दर्द देती है.
तो कोई आंनद आपको सन्तुलित संतुष्टि नही दे सकता….
ऐसा ” कर्ज ” जो आपको किसी और से अवश्य मिलेगा..
मंज़िलों की फितरत है खुद चलकर नहीं आतीं..
_आज नहीं तो कल उसको दुगुना मिलता है, और इसका भुगतान व्यक्ति को आगे के समय में करना पड़ सकता है…!