सुविचार 4295
न जाने कौन से सुख के लिए, धन कमाया, पद कमाया, यश कमाया आदमी ने,
_ फिर भी बेचैनी रही, यह क्या गंवाया आदमी ने..
_ फिर भी बेचैनी रही, यह क्या गंवाया आदमी ने..
लेकिन बदलते हुए अपने कभी अच्छे नहीं लगते !!
सार्थक हो तो ही इसे खर्च करें, अन्यथा मौन रहें,”
_ ‘सब अच्छा होगा’ बस यही आवाज़ रब की होती है.
जो लोग ईमानदार नहीं हैं, उनके साथ भी ईमानदार रहिये,
इस तरह ही ईमानदारी सिद्ध होती है.