सुविचार 4162

कोई प्रशंसा करे या निंदा दोनों ही अच्छा है,

_ क्योंकि प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सावधान होने का अवसर..

कोई इंसान पूरा शत प्रतिशत अच्छा या पूरा शत प्रतिशत बुरा नहीं होता.

_ निन्दा और प्रशंसा साथ-साथ चलते हैं.

प्रशंसा करने वाला आपकी स्थिति देखता है,

_ और चिंता करने वाला आपकी परिस्थिति देखता है..!!

सुविचार 4161

“सफलता” की “खुशी” का “अनुभव” वही करता है,

_ जो “दिमाग” से “हार” के “डर” को निकाल देता है..

सुविचार 4160

इस दुनिया की विडंबना यह है कि _ लोग अपनी जरूरत के मुताबिक हमारा इस्तेमाल करते हैं _ और हम समझते है कि वे हमको पसंद करते हैं.
“यही जीवन की विडंबना है” _आप को किसी न किसी चीज़ से तो वंचित होना ही पड़ेगा..!!
किसी के लिए जरूरत से ज़्यादा मत करते रहना,

_वरना उसको.. आपसे ज़्यादा अपनी जरूरतों से मतलब रहने लगेगा..!!

सुविचार 4159

“जब तक जीना तब तक सीखना !

_ अनुभव ही जीवन में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है !!”

जीवन रोज नए-नए अनुभव देता है,

_जीवन को समझ लेना लगभग असंभव है, खासकर आम आदमी के लिए..
हो सकता है आपका अनुभव आपके लिए सही हो,

_पर इसे औरों पर थोपना तर्क संगत नहीं..!!
ज़िन्दगी में सही फ़ैसले हमेशा अनुभवों के बल पर लिए जाते हैं,
_ और अनुभव हमेशा ग़लत फ़ैसलों के ज़रिए प्राप्त होते हैं.
आपको मलाई तो चाहिए, _ लेकिन दूध ठंडा ना करना पड़े ?

ऐसे कैसे संभव है ?

सुविचार 4157

जीवन में जो लोग आपसे दूर होना चाहते हैं,

_ वो लोग सारा दोष हालातों पर ही डाल देते हैं.

आपको निराश करने के लिए लोगों को दोष न दें,

_ उनसे बहुत अधिक उम्मीद करने के लिए खुद को दोष दें.

“दोष ऐसे ही ढूंढे जाते हैं” _ मैंने ग्लास रखा जमीन पर ..आपसे फूटा तो ..देख के नहीं चलते..

_ और आपने रखा ..मुझसे फूटा तो ..देख के नहीं रखते..!!

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