सुविचार 4225

दिन ब दिन गिर रहा है ” इन्सानियत ” का स्तर… और इन्सान का दावा है कि हम तरक्की पर हैं..!!
दुनिया में तरक्की इतनी हुई कि हज़ारों किलोमीटर दूर बैठे इंसान को देख और सुन सकते हैं ..

_ “पतन’ इतना हुआ की पास बैठे इंसान का दुःख-दर्द, तकलीफ तक दिखाई नहीं देता है.!!

“उन्नति अगर अलगाव पैदा कर दे, अपनों में दूरी भर दे.. तो फिर वह उन्नति है भी या अंधी दौड़ ?
तरक्की व्यस्तता पर नहीं, बल्कि व्यवस्थित काम पर निर्भर करती है !!
आपकी तरक्की और उन्नति से जलेंगे, वो आपको कई मिलेंगे.!!
जब लोग किसी की तरक्की नहीं रोक पाते.. तो वह उसकी छवि बिगाड़ने लगते हैं.!!

सुविचार 4224

हम किसी भी बात को उसी सीमा तक सोच पाते हैं.. जैसी हमारी surroundings और life experience हैं..

और इन सब के परे हम उसी बात के दूसरे पहलू को सोच ही नही सकते..जबकि ये भी सत्य है कि..हर बात के दो पहलू होते जरूर हैं ।।

सुविचार 4223

ऐसा इंसान बनो.. जिसकी जेब में पैसा हो, दिमाग में ज्ञान हो, दिल में दया हो, चेहरे पर आत्मविश्वास हो और आत्मा में जिम्मेदारी हो.!!

सुविचार 4222

जब कोई दिल से उतर गया फिर क्या फर्क पड़ता की वो किधर गया,,,

न रूठने का डर, न मनाने की कोशिश, दिल से उतरे हुए लोगों से शिकायत कैसी…

सुविचार 4221

संघर्ष के दिन सबसे खूबसूरत होते हैं,

सफलता की कोई तारीख नही होती..

सुविचार 4220

फ़र्क होता है अपनी सोच का, मुश्किलें हमे मज़बूत करती कमज़ोर नही.
ये कांटें, ये धूप, ये पत्थर से क्या डरना,

_ राहें मुश्किल हो जाए तो भी छोड़ी थोड़े न जाती है..!!

लोग काँटों से बच के चलते हैं, मैंने फूलों से ज़ख्म खाए हैं !!
जो कांटें आज हैं राहों में तेरी राह देंगे कल..

_ रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, काँटों पे चल के मिलेंगे ..साए बहार के..!!

ये वफ़ा की सख्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाजुक,

_ न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ चल चल के..!!

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