सुविचार 4514
शंका का कोई “इलाज़” नहीं, चरित्र का कोई “प्रमाण” नही*_
*मौन से अच्छा कोई “साधन” नहीं, और शब्द से तीख़ा कोई “बाण” नहीं*_
*मौन से अच्छा कोई “साधन” नहीं, और शब्द से तीख़ा कोई “बाण” नहीं*_
क्योंकि आपके पास उनकी बातों को ध्यान देने के लिए समय ही नहीं होगा.
उसका चौबीसवाँ हिस्सा भी सकारात्मक सोचने में लगाये तो, सारे समाधान हाथ में होते हैं.
और नफ़रत वो चीज है जो इंसान को कभी खिलने नहीं देती.