सुविचार 4350
अगर आप आंनदित है तो सभी आंनदित है और अगर आप किसी पीड़ा से भरे हैं
तो कोई आंनद आपको सन्तुलित संतुष्टि नही दे सकता….
तो कोई आंनद आपको सन्तुलित संतुष्टि नही दे सकता….
ऐसा ” कर्ज ” जो आपको किसी और से अवश्य मिलेगा..
मंज़िलों की फितरत है खुद चलकर नहीं आतीं..
_आज नहीं तो कल उसको दुगुना मिलता है, और इसका भुगतान व्यक्ति को आगे के समय में करना पड़ सकता है…!
अरे वक्त लगता है बीज को फसल बनने में !