सुविचार 4180

जो मिला है उसके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए..

_ तभी हम उसका आनन्द मना पायेंगे.

सुविचार 4179

ज़िंदगी से बडा़ कोई मज़हब नहीं होता,

_ और अपने जिस्म से सगा कोई दूजा नहीं होता,
_ तो सबसे पहले ज़िंदगी की परवाह होनी चाहिये,”
“ज़िंदगी” दौड़ रही है तेज़, जाने कब थम जाएगी,,

_ शेष है जितनी “जी लीजिए” ये वापिस फ़िर न आएगी !!

सुविचार 4178

आपके पास जो उच्चतम चीज़ें हैं, उनका कुछ अंश दूसरों को देना शुरू करें..

_ ताकि आपके जीवन में उच्चतम चीज़ों का बहाव चलता रहे..

सुविचार 4177

आतंरिक स्पष्टता और स्थिरता पाने के लिए अपने विचारों का नियमन करें.

सुविचार 4176

खुद को माचिस की तिली की तरह मत बनाओ, जो थोड़े से घर्षण से सुलग जाती है,

_ बनाना है तो खुद को शांत सरोवर की तरह बनाओ,

_ जिसमें अगर कोई अंगारा भी फेंके तो वो भी बुझ जाए.

सुविचार 4175

जिंदगी में चुनौतियां हर किसी के हिस्से में नही आती,

_ क्योंकि किस्मत भी किस्मत वालों को ही आजमाती है.

ये सच है कि कई बार तमाम योग्यताओं के बावजूद आदमी मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है, और इसी को किस्मत कहते हैं.
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