मस्त विचार 4442
वो एक मंजर था जो अब बीत चुका है,
अब वक्त खुद से सुलह करने का है,,
अब वक्त खुद से सुलह करने का है,,
जिसकी रगो में खून नहीं जुनून दौड़ता है..
वो जिंदगी में हर परिस्थिति का सामना कर सकता है..
ख़ुशी ही नहीं सुकून भी मिलेगा ..
हर चुभने वाली चीज का मकसद बुरा नहीं होता.
ये भी एक अंदाज़ होता है नाराज़ होने का..