मस्त विचार 3670

ठोकरें नहीं खाएंगे जनाब_ तो कैसे जानेंगे….

_ कि आप पत्थर के बने हैं या शीशे के.

शीशे के घरों पर अभी गरूर है तुम्हें, अभी तुमने उछलते पत्थर नहीं देखे.!!

मस्त विचार 3669

*” निखरती है मुसीबतों से ही शख्सियत यारों !!*

_ *जो चट्टान से ही ना उलझे वो झरना किस काम का !!*

मत कोस जिंदगी को, ये मुसीबतों में खलती है..

_ ये जिंदगी है यार, हौसलों से चलती है..!!

शख्सियत जितनी अच्छी होगी, दुश्मन भी उतने ही बनेगें ; वरना बुरे की तरफ देखता ही कौन है ?

_ क्योंकि पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंकें जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ;
_ कभी भी देखा है, किसी सूखे पेड़ पर पत्थर फेंकते हुए ;
_ इसलिए अपनी शख्सियत को उच्च कोटि की बनाने पर ध्यान दें.!!
तालाब एक ही है, उसी तालाब में हंस मोती चुनता है और बगुला मछली,

_ सोच-सोच का फर्क होता है, आपकी सोच ही आपको बड़ा बनाती है,
_ यदि हम गुलाब की तरह खिलना चाहते हैं तो काँटों के साथ तालमेल की कला सीखनी होगी.!!

मस्त विचार 3668

आप तब तक अच्छे हो, जब तक आप सामने वाले के मन की करते हो ;

_ अपने मन की करते ही आपकी सारी अच्छाइयाँ ख़त्म हो जाती हैं..

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