मस्त विचार 4247
हम चाहते तो उन्हें कब का मना लेते,
पर वो रूठे नहीं बदल गये हैं..
पर वो रूठे नहीं बदल गये हैं..
_ सब कुछ तो ” गिरवी ” पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में..!!
थकने के बाद शाम होती है या शाम होने के वजह से थकान..
रास्ते का थका वह मुसाफिर हूँ मैं.
वही याद कर के आँसू आते है अब….