मस्त विचार 4480

जब हम चिंता छोड़ देते हैं और जीवन को वैसे ही जीते हैं जैसे वह है,

तो हमारी उपस्थिति फूल जैसी हो जाती है— सिर्फ़ अपने होने से ही वातावरण को सुगंधित कर देती है.!!
“मैं हीरे नहीं, पर फूल ज़रूर लाता हूँ”

“मैं किसी के लिए भी हीरा भले न लाऊँ, लेकिन फूल ज़रूर लाऊँगा.!!”
_ “हीरे-ज़वाहरात भले किसी की झोली में न रख पाऊँ, पर मेरे भीतर की नर्मी इतनी है कि मैं हमेशा फूलों-सी सादगी और अपनापन दे सकता हूँ”
_ “मैं हीरे नहीं, पर फूल ज़रूर लाता हूँ”

मस्त विचार 4476

हर शख्स परिंदों का हमदर्द नहीं होता दोस्तों,

बहुत बेदर्द बैठे हैं दुनिया में जाल बिछाने वाले.

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