मस्त विचार 4160
बुरा कैसे बन गया खुद को मालुम नही,
दर्द लिखता हुँ किसी को देता तो नही..!
दर्द लिखता हुँ किसी को देता तो नही..!
दूसरा कोई जिम्मेदार नहीं होता”
नाकाम देख कर हँसता है और कामयाब देखकर जलता है !
जिसे आदमी अपनी तरह से लिखना चाहता है,
और जिंदगी अपनी तरह से लिखती है “
अब बस खुद का ख्याल रखेंगे !
जब आदमी अपने पूरे होशो-हवास में हो.