मस्त विचार 4328
तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया,
बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया.
बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया.
हर किसी के नसीब में नहीं होती अगली मुलाकात !!
पावों को काट फेंके या चादर बड़ी करें.
उजालों में बड़े इत्मीनान से चलते हैं..
मैं सीधी राह पे आया,,,ग़लत तरीक़े से.!
वो जिक्र नहीं करते, हमेशा फिक्र किया करते हैं..