मस्त विचार 4281
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी रुपए नहीं होते..
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी रुपए नहीं होते..
मेरी जिंदगी का सबसे भयानक हादसा रहा..
मैंने तो नाराज होना भी छोड़ दिया, देख न कितनी नाराजगी है..
वो ख़िलाफ़ रह कर क्या बिगाड़ लेंगे.
मैं ऐतबार न करता तो और क्या करता ….