मस्त विचार 4412
जिसको अपना होश नहीं है, उसकी अपनी मौज़ नहीं है,
क्योंकि ” मौज, होश की अर्धांगिनी है.
क्योंकि ” मौज, होश की अर्धांगिनी है.
अगर मैं टूट गया तो कोई समेट नहीं पायेगा.
पर हर रोज जमाना मुझमें, नया ऐब ढूढ़ ही लेता है.
जिन्दगी जब कोई सवाल पूछती है..!!