मस्त विचार 4408
तराश रहा खुद को भी मैं, हो जाऊं लोगों के मुताबिक
पर हर रोज जमाना मुझमें, नया ऐब ढूढ़ ही लेता है.
पर हर रोज जमाना मुझमें, नया ऐब ढूढ़ ही लेता है.
जिन्दगी जब कोई सवाल पूछती है..!!
अकेला ही काफ़ी हूँ ये दुनिया झुकाने के लिए…!!
जिनके आँखों मे आंसू नहीं उनके सिने मे दर्द बेहिसाब होता है.
मैं तो अपने यक़ीन पर शर्मिंदा हूँ..