| Feb 16, 2025 | मस्त विचार
“मौसम की तरह वो बदल गए…,
और फ़सल की तरह हम बरबाद हो गए”
| Feb 15, 2025 | मस्त विचार
खुद का किस्सा खुद को ही सुनाता हूँ,
अब गैरों पर भरोसा नहीं कर पाता हूँ….!!!
| Feb 14, 2025 | मस्त विचार
कुछ अधूरापन था, जो पूरा हुआ नही,
कोई था मेरा, जो मेरा हुआ ही नहीं !
| Feb 13, 2025 | मस्त विचार
सांस एक भी नहीं तेरे बस में,
ज़िंदगी का गुरूर कैसा है..!!
| Feb 12, 2025 | मस्त विचार
उन लम्हों का हिसाब नहीं चाहिए, जो तुम पर ख़र्च हुए.
_ बस वो वक़्त लौटा दो, जो तुम्हारे साथ बीता..!!
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है.?
_ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो..!!
| Feb 11, 2025 | मस्त विचार
जुबां कड़वी सही पर दिल साफ़ रखता हूँ।।
कौन, कब, कहाँ बदल गया सब का हिसाब रखता हूँ।।