मस्त विचार 4316
कुछ अधूरापन था, जो पूरा हुआ नही,
कोई था मेरा, जो मेरा हुआ ही नहीं !
कोई था मेरा, जो मेरा हुआ ही नहीं !
ज़िंदगी का गुरूर कैसा है..!!
बस वो वक़्त लौटा दो, जो तुम्हारे साथ बीता..!!
कौन, कब, कहाँ बदल गया सब का हिसाब रखता हूँ।।
मगर एक साथ चलना भी तो कोई कम नहीं होता..
जो मिलेगा नहीं उसी पर रोज मरते हैं हम..