मस्त विचार 4397

चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्तां सुनकर,

ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, बयां हमसे होगा नहीं.

मस्त विचार 4393

कोशिश इतनी है की कोई रूठे ना हमसे, वरना

नज़रअंदाज़ करने वालों से नज़र हम भी नहीं मिलाते.

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