मस्त विचार 4471
मुझे ले चलो …उस जहां में …जहां मिलने के बाद..
बिछड़ने का …कोई रिवाज़ ना हो…
बिछड़ने का …कोई रिवाज़ ना हो…
जिंदगी को अपनों से जोड़ लो, है चार दिन की ये सोच लो..
*चादर बड़ी करें या,* *ख़्वाहिशे दफ़न करें !*
पहले मुड़ कर देखते थे..,अब देख कर मुड़ जाते हैं ।
इसीलिए बाकी नहीं, अब कोई भी आस.
जो घड़ी जी लेंगे वो ही रह जानी है.