मस्त विचार 4522
“फ़कत एक चाँद गवाह था मेरी बेगुनाही का…,
और अदालत ने पेशी अमावस की रात को मुकर्रर कर दी.
और अदालत ने पेशी अमावस की रात को मुकर्रर कर दी.
ये उस कांच के समान होती हैं जो लोगों को चुभती बहुत है.
कि कितना दर्द होता है_ _नजरअंदाज करने से..
फिर भी दुआ में उसने बरसात मांगी ”
पर वो शख्स एक याद सा हो गया पूरी ज़िन्दगी के लिए…