मस्त विचार 4221
बदन है मिट्टी का, सांसे सारी उधार हैं..
घमण्ड है तो किस बात का, हम सब यहां किराएदार हैं…
घमण्ड है तो किस बात का, हम सब यहां किराएदार हैं…
जी भर के खुद को बरबाद किया हमने”
जान भी ले गए और जान से मारा भी नहीं..
तकदीर जब तमाचा मारती है, तो वो मुँह पर नहीं सीधा रूह पर लगता है…
रोज ये बात, भूल जाता हूँ.
वरना जहाँ बैठते थे रौनक ला दिया करते थे.