मस्त विचार 4246
परिंदों को मंजिल मिलेगी यक़ीनन, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं.
अक्सर वो लोग खामोश रहते हैं, ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं
_ सब कुछ तो ” गिरवी ” पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में..!!
थकने के बाद शाम होती है या शाम होने के वजह से थकान..
रास्ते का थका वह मुसाफिर हूँ मैं.
वही याद कर के आँसू आते है अब….
किसी की दुनिया उजड़ जाती है तो किसी की दुनिया संवर जाती है.