” _ तेरे एहसासों को हर रंग मेँ ढूंढा मैंने, _ मगर तेरे एहसास जैसा कोई रंग ना मिला _”
“_ तेरे सिवा भी कई रंग थे हसीन मगर,_ जो तुझको देख चुका हो, वो और क्या देखे…!!
” _ मैं तेरे इश्क़ के हर रंग में इस कदर रंग जाऊं, __ मैं… मैं न रहूं, तू बन जाऊं._”
” _ तेरे रंग में रंग कर ही तो मैं..खुशनुमा हूँ,_ तुम ही तो हो मुझमें… मैं कहाँ हूँ .._”
” _ मैं तो खुद बेरंग हो गया , _ _तेरे इश्क़ को रंगीन करते करते ….._ “
” _ रंग बदलती इस दुनिया में., मुझे मेरा, _बेरंग होना पसंद आया …_”
” _ हज़ार रंग हैं इस दुनिया में _ मैं रंगना चाहूं _ बस तेरे रंग में…!! _”
“_ धीरे – धीरे तेरा रंग चढ़ गया _ चढ़े तो उतरे ना …..वह है रंग _”
“_ तमाम रंग लगा कर देखे, _ तेरे एहसास जैसा कोई रंग नहीं _”
” _ हर रंग में जला हूं यार, _ इसीलिए इतना रंगीन बना हूं .!! _”
” _ रंगों से सीखा है, _ अगर निखरना है तो बिखरना पड़ेगा.!!_ “
_ ” जब तलक तू मेरे संग है, _ _हर तरफ रंग ही रंग है_ “
” _ हर रंग कुछ कहता है,, __ कभी रंगहीन हुआ कर.. _”
” _ तुम्हें महसूस करके _ मैंने ख़ुद को रंग लगा लिया ! _”
” _ सारे रंगों के मायने _ _एक तुम्हारे होने से है _ “
” _ रंगो में वो रंग कहां _ जो रंग _ लोग बदलते हैं _”