उसी तरह दुनिया के पीछे अपनी अहमियत को ज़ाया न करो…
अगर आप चिंतित है तो आप भविष्य में रह रहे हैं, _ यदि आप शांतचित है तो ही आप वर्तमान में रह रहे हैं !”
यह आपके ऊपर है कि आप किस चीज से क्या सीखते एवं समझते हैं.
2. अगर आप कभी पूछोगे नहीं तो जवाब हमेशा “ना” ही रहेगा.
3. अगर आगे नहीं बढ़ोगे तो जहाँ थे, वहीँ रह जाओगे !!
अब पन्ने पलटना है या किताब बन्द करना है.
मैं उसके फैसलों से तंग _ वो मेरे हौसले से दंग रही.
गर करोगे हिम्मत _ तो मंज़िलें पुकारेंगी !!
इन दवाओं में होता है, बड़ा असर..
_ आप की कई सालों की पढ़ाई के बराबर होती है.
_ कैसे पता लगाया जाये _ बेगाना कौन है और अपना कौन है…!!
करने के समय सोचने वाला सतर्क है, _ करने के बाद सोचने वाला मूर्ख है.
जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे
और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा.
जितनी देर बुराई करी उतनी देर में कुछ सार्थक ही कर लिया होता,
कुछ सुंदर ही कर लिया होता, तो तुम्हारा दिन कितना अलग होता _ कभी सोचना !
…मैंने तो बहुत कुछ पाया है ; इसलिए शायद मैंने बहुत कुछ नहीं ” सब कुछ खोया है “
पर ख़ुद गिरता – संभलता रहा, किसी को गिराया नहीं मैंने..
मायने तो ये है कि आप भीड़ से कितने अलग हैं…!!
उसकी जड़ों को पाताल छुना होता है..
_ और बेहतर की तलाश में है !!
और जो जहाँ है, जैसा है, वहीँ सुखी है तो, वो कहीं भी सुखी हो सकता है.
रहना नहीं था साथ जिसके रहना पड़ा है..
एहसासों को शब्दों में न ढाला करे कोई.
इससे अच्छा है कि _ उससे बेकार बातें ही करें.
जो अच्छा लगे वही किया कीजिये…!
बस अब जिंदगी में थोड़ा…… अकेले चलने का मन है !!
हारने के बाद एहसास होता है कि बहुत कुछ हार गए.
_ बीच में वो और किसी को ना लाए..
मंजिल मिले या तजुर्बा दोनों ही नायाब हैं.
बेशक जवाब देर से मिलेंगे, लेकिन बेहतरीन होंगे…!!
_ कामयाबी पाने वाले खुद और खुदा पे विश्वास रखते हैं..
_ चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ ही गया..
छाँव में अगर होते… तो सो गए होते.
ज़िन्दगी के हर सफ़र में हमसफ़र नहीं होते.
उतना ही ” एकांत ” तुम्हे प्रिय लगने लगेगा.
तो कुदरत आपकी तकलीफ़ें दूर कर देती है.
सब रब पर छोड़ दिया करो….. ज़नाब;
मिल जाए तो मिटटी है, खो जाए तो सोना है…
इसलिए हर किसी ने इसे पहना नहीं..
थकते पैर हैं लकीरें हाथों की दिखाई जाती है.
क्या तुमने सिकंदर का मुक़द्दर नहीं देखा..
ए जिन्दगी तूने तो हमे मुसाफ़िर बना दिया ।।
झुकता हुआ हर शख्स _ बेचारा नहीं होता..!!
_ उसी राह पर चलकर _ आपकी ज़िंदगी में बदलाव होगा.
मैं अगर जिंदा हूँ तो _ मुझे जिंदा रहने दिया जाए,
मैं कौन हूँ, मैं क्यूँ हूँ की लड़ाई में _ मैं हर रोज खुद से लड़ता हूँ,
ऐ जिंदगी मुझे _ अब दो पल का सुकून दिया जाए..